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Wednesday, April 25, 2018

पपीते की चाय

पपीते के पत्तो की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म,

पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।

अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।

ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी है जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।

आपके लिए नित नवीन जानकारी कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।

विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।

University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधो से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता है, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती है, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती है जिनमे मुख्य है।

breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला है, अगर पपीता की पत्तिया कैंसर को खत्म नहीं कर सकती है लेकिन कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती है।।

तो आइये जाने पपीता की पत्तिया कैंसर को कैसे खत्म करती है?

1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।

2. पपीता की पत्तियों में papain नमक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सोर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।

सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।
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कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जाने लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।

1. 5 से 7 पपीता के पत्तो को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा ले फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर का दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। और ध्यान रहे के इसको दोबारा गर्म मत करें।

2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अभी इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।

पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।

कब तक करें ये प्रयोग वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी।

यह संदेश सभी को भेजने की नम्र विनंती है!

*"ताक"*


  1. शास्त्रात ताकाची तुलना अमृताशी केलेली आहे. ताक हे शरीरातील घातक पदार्थ मूत्रावाटे बाहेर काढून शरीरात रोग प्रतिकार शक्ती वाढवण्यास मदत करते. ताकाचे नियमित सेवन केल्याने शरीर बलवान होते. महत्वाचे म्हणजे तीन दिवस इतर काहीही न खाता ताक पीत राहल्यास आपल्या शरीराचे पंचकर्म आपोआप होते आणि शरीरातील चरबी निघून जाते, इतकेच नव्हे तर चेहऱ्यावरील काळे डाग जावुन चेहरा तरतरीत व तेजस्वी होतो.

ताकात विटामिन ” B 12 ” , कैल्शियम , पोटेशियम आणि फास्फोरस सारखे तत्व असतात जे शरीरासाठी फारच फायद्याचे असतात. ज्याचे पोट साफ होत नाही आणि पोटातून आवाज येतात त्यांनी ताक पिल्याने असे आजार नाहीसे होतात. ताक प्यायल्यानंतर शरीराची झीज ९० % भरून निघून शरीरातील उष्णता त्वरित कमी होऊन अतिशय शांत झोप लागते. साधारण माणसाने सुध्दा दररोज ताक पायल्याने शरीरातील उष्णता लगेच कमी होते आणि ताकत प्रचंड प्रमाणात वाढते.

ताक पिण्याचे हे १० प्रकारचे फायदे जाणून घेऊया आणि कोल्ड्रिंक पिणे थांबूया . . .

१) ताक प्यायल्याने लठ्ठपणा कमी होतो.
२) वारंवार लघवीचा त्रास होत असेल तर ताकात मीठ टाकून प्यावे. त्रास कमी होतो.
३) दह्याचे पाणी अथवा ताकाने गुळण्या केल्यास तोंड येणे बरे होते.
४) ताकात ओवा टाकून प्यायल्यास पोटातील जंतू मरुन जातात.
५) ताकात गुळ टाकून प्यायल्यास लघवी करताना होणारी जळजळ बंद होते.
६) थोडी जायफळ पूड ताकात टाकून प्यायल्यास डोकेदुखी कमी होते.
७) रिकाम्या पोटी ताक प्यायल्याने पोटदुखी बरी होते.
८) ताकात साखर आणि काळी मिरी टाकून प्यायल्यास पित्ताचा त्रास कमी होतो.
9) लहान मुलांना दात येतेवेळी त्यांना दररोज ४ चमचे असे दिवसभरातून २-३ वेळा दिल्यास दात येताना मुलांना होणारा त्रास कमी होतो.
१०)महत्वाचे म्हणजे *तीन दिवस इतर काहीही न खाता ताक पीत राहल्यास* आपल्या शरीराचे पंचकर्म आपोआप होते.
ज्यांनी ह्या पूर्वी पैसे देवुन पंचकर्म केलेलं आहे त्यांनी हा प्रयोग करून पहा, तेव्हा लक्षात येईलच.
तुमची तब्बेत ठीक तर होईलच पण पैसाही वाचेल. असे सहा महिन्यात एक वेळ करा, आपणास होणारे भावी मोठे आजार पण टळतील. त्यामुळे होणारा त्रास व औषधी खर्चही वाचेल.

चला तर मग 🥛 ताक पिण्यास सुरुवात करूयात. आज पासून Cold Drinks बंद करूया..
हि माहिती जास्तीतजास्त लोकांपर्यंत पोहोचवावी  यासाठी शेअर करायला विसरू नका.

सर्व्हिस बुक होणार आॅनलाईन

*शासकीय कर्मचाऱ्यांची सर्व्हिस बुक होणार आॅनलाईन*


नागपूर : शासकीय कर्मचाऱ्यांच्या नियुक्तीपासून निवृत्तीपर्यंत सगळी माहिती ठेवणारे सर्व्हिस बुक आॅनलाईन करण्याचा निर्णय शासनाने घेतला आहे. कर्मचाऱ्यांची सर्व माहिती आता आॅनलाईन सेव्ह राहणार असून, सुटीचा अर्ज सुद्धा कर्मचाऱ्यांना आॅनलाईन टाकावा लागणार आहे. या योजनेचा शुभारंभ नागपूर जिल्हा परिषदेतून होणार आहे.
ग्राम विकास विभागाचे सचिव असिम गुप्ता यांनी सोमवारी नागपूर जिल्हा परिषदेला भेट दिली. या भेटीदरम्यान गुप्ता यांनी विविध विषयांसोबतच या प्रणालीचा आढावा घेतला. हा प्रकल्प अंतिम टप्प्यात असून काही दिवसातच या प्रणालीचे उद्घाटन सुद्धा होणार असल्याची माहिती प्राप्त झाली आहे.

या प्रणालीमुळे कर्मचाऱ्यांच्या सेवेचा रेकॉर्ड एका क्लिकवर उपलब्ध होणार आहे.
केंद्र व राज्य सरकारने ई-गव्हर्नन्सवर भर देण्यासाठी अनेक प्रणाली आॅनलाईन केल्या आहेत. यात निविदा प्रक्रियेपासून सेवार्थ प्रणालीपर्यंत सगळ्या प्रणाली आॅनलाईन केल्या जात आहे. आता सर्व्हिस बुकसुद्धा आॅनलाईन करण्याचा निर्णय राज्य सरकारने घेतला आहे. कारण कर्मचाऱ्यांच्या ३० ते ३५ वर्षांच्या सेवेदरम्यान सर्व्हिस बुकची दैना होते. जुन्या पोथ्यांसारखी दिसणारे हे सर्व्हिस बुक कधी कधी गहाळ सुद्धा होते. यावर उपाय म्हणून सरकारने आता हे सर्व्हिस बुक आॅनलाईन करण्याचा निर्णय घेतला आहे. ही सगळी माहिती आता आॅनलाईन सेव्ह राहणार आहे.

Tuesday, April 24, 2018

کیا ہے پوکسو ایکٹ؟


معصوموں سے ریپ پر پھانسی،
10پوائنٹس میں جا نیں کیا ہے پوکسو ایکٹ؟



نابالغوں سے ریپ کے بڑھتے واقعات کے مدِّنظر حکومت نے پروٹیکشن آف چلڈرن فارم سیکسوئل آفینس ایکٹ (پوکسو)میں بڑی تبدیلی کی ہے۔پوکسو ایکٹ میں تبدیلی کی پیشکش کومنظوری ملنے کے بعد اب 12 سال کی کم عمر کی بچیوں سے ریپ کے معاملوں میں موت کی سزا ہوگی۔ملک بھر میں گزشتہ کچھ وقت سے اس کیلئے سخت قانون بنانے کی مانگ کی جا رہی تھی۔

پوکسو ایکٹ میں کیا تبدیلی کی گئی ہے..
 اب 12 سال سے کم عمر کی بچیوں سے ریپ کے معاملوں میں موت کی سزا ہوگی۔
اور 16 سال سے کم عمر کی لڑکی سے ریپ کرنے پر کم سے کم سزا کو 10 سال سے  بڑھاکر 20 سال کیا گیا ہے۔


 کیا ہے پوکسو ایکٹ؟
یہ ہے اس ایکٹ سے متعلق 10 بڑی باتیں۔۔۔👇🏻👇🏻

1. 18 سال سے کم عمر کے بچوں سے کسی بھی طرح کا سیکسول برتاؤ اس قانون کے دائرے میں آتا ہے۔یہ قانون لڑکے اور لڑکی کو سماجی طور پر سکیورٹی دیاتا ہے۔

2. اس ایکٹ کے تحت بچوں کو جنسی ہراسانی ،سیکسوئل اسالٹ اور پونو گرافی جیسے جرائم سے پروٹیکٹ کیا گیا ہے۔

3. 2012 میں بنے اس قانون کے تحت الگ الگ جرائم کیلئے الگ الگ سزا طے کی گئی ہیں۔

4. پوکسو قانون کے تحت سبھی جرائم کی سنوائی ایک خصوصی عدالت کے ذریعے کیمرے کے سامنے یا جن پر بچہ بھروسہ کرتا ہے ان کی موجودگی میں سماعت کی تجویز ہے۔

5. اگر کوئی شخص کسی بچے کے جسم کے کسی بھی حصے میں پرائیویٹ پارٹ ڈالتا ہے تو یہ سیکشن ۔3 کے تحت جرم ہے۔اس کیلئے دفعہ ۔4 میں سزا طے کی گئی ہے۔

6. اگر مجرم نے کچھ ایس جرم کیا ہے جو کہ  چائلڈ کرائم قانون کے علاوہ کسی دوسرے قانون میں بھی جرم ہے۔تو مجرم کو سزا اس قانون  کے تحت ہو گی جو کہ سب سے سخت ہو۔

7. اگر کوئی شخص کسی بچے کے پرائیویٹ حصے کو چھوتا ہے یا اپنے پرائیویٹ حصے کو بچے سے ٹچ کراتا ہے تو دفع ۔8 کے تحت سزا ہوگی۔

9. اگر کوئی شخص غلط نیت سے بچوں کے سامنے جنسی حرکتیں کرتا ہے یا سے ایسا کرنےکو کہتا ہے ،پونو گرافی دکھاتا ہے تو تین سال سے لیکر عمر قید تک کی سزا ہو سکتی ہے۔

10. اس ایکٹ میں یہ پیشکش ہے کہ اگر کوئی شخص یہ جانتا ہے کی کسی بچے کا جنسی استحصال ہوا ہے تو اس کی رپورٹ نزدیکی تھانے میں دینی چاہئے۔اگر وہ ایسا نہیں کرتا ہے تو اسے6 مہینے کی سزا ہوگی۔

ایکٹ میں یہ بھی کہا گیا ہے کہ بچے کے جنسی استحصال کا معاملہ واقعہ پیش آنے کی تاریخ سے ایک سال کے اندر مقدمہ کا فیصلہ آجانا چاہئے۔

مطالعہ



*مطالعہ سے کیا ملتا ہے* ؟ 

 *۔۔۔مطالعہ انسان کے لئے اخلاق کا معیار ہے۔(علامہ اقبالؒ )


 *۔۔۔ بری صحبت سے تنہائی اچھی ہے، لیکن تنہائی سے پریشان ہو جانے کا اندیشہ ہے، اس لئے اچھی کتابوں کے مطالعے کی ضرورت ہے۔(امام غزالیؒ )


 *۔۔۔ تیل کے لئے پیسہ نہ ہونے کی وجہ سے میں رات کو چوکیداروں کی قندیلوں کے پاس کھڑے ہوکر کتاب کا مطالعہ کرتا تھا۔ 
(حکیم ابو نصر فارابی ؒ )


 *۔۔۔ورزش سے جسم مضبوط ہوتا ہے اورمطالعے کی دماغ کے لئے وہی اہمیت ہے جو ورزش کی جسم کے لئے۔ (ایڈیسن)


 *۔۔۔ مطالعہ سے انسان کی تکمیل ہوتی ہے۔ (بیکن) 


*۔۔۔مطالعے کی عادت اختیار کرلینے کا مطلب یہ ہے کہ آپ نے گویا دنیا جہاں کے دکھوں سے بچنے کے لئے ایک محفوظ پناہ گاہ تیار کرلی ہے۔ 
(سمر سٹ ماہم) 


*۔۔۔ تین دن بغیر مطالعہ گزار لینے کے بعد چوتھے روز گفتگو میں پھیکا پن آجاتا ہے۔
 (چینی ضرب المثل) 


*۔۔۔انسان قدرتی مناظر اورکتابوں کے مطالعے سے بہت کچھ سیکھ سکتا ہے۔ (سسرو)


 *۔۔۔ مطالعے کی بدولت ایک طرف تمہاری معلومات میں اضافہ ہوگا اوردوسری طرف تمہاری شخصیت دلچسپ بن جائے گی۔ (وائٹی)


 *۔۔۔دماغ کے لئے مطالعے کی وہی اہمیت ہے جو کنول کے لئے پانی کی۔ (تلسی داس) 


*۔۔۔مطالعہ کسی سے اختلاف کرنے یا فصیح زبان میں گفتگو کرنے کی غرض سے نہ کرو بلکہ ’’تولنے‘‘ اور’’سوچنے‘‘کی خاطر کرو۔ (بیکن) 


*۔۔۔جس طرح کئی قسم کے بیج کی کاشت کرنے سے زمین زرخیز ہو جاتی ہے، اسی طرح مختلف عنوانات پر کتابوں اوررسالوں وغیرہ کا مطالعہ انسان کے دماغ کو منور بنادیتا ہے۔ (ملٹن) 


*۔۔۔ جو نوجوان ایمانداری سے کچھ وقت مطالعے میں صرف کرتا ہے، تو اسے اپنے نتائج کے بارے میں بالکل متفکر نہ ہونا چاہئے۔ ( ولیم جیمز)


 *۔۔۔ مطالعے سے خلوت میں خوشی، تقریر میں زیبائش، ترتیب وتدوین میں استعداد اور تجربے میں وسعت پیدا ہوتی ہے۔ (بیکن)


 *۔۔۔ وہ شخص نہایت ہی خوش نصیب ہے جس کو مطالعہ کا شوق ہے، لیکن جو فحش کتابوں کا مطالعہ کرتا ہے اس سے وہ شخص اچھا ہے جس کو مطالعہ کا شوق نہیں ( میکالے) 


*۔۔۔ مطالعہ ذہن کو جلا دینے کے لئے اوراس کی ترقی کے لئے ضروری ہے۔ (شیلے) 


*۔۔۔ دنیا میں ایک باعزت اورذی علم قوم بننے کے لئے مطالعہ ضروری ہے مطالعہ میں جو ہر انسانی کو اجاگر کرنے کا راز مضمر ہے۔ (گاندھی جی)


 *۔۔۔ اکثر دیکھا گیا ہے کہ کتابوں کے مطالعے نے انسان کے مستقبل کو بنادیا ہے۔ (جیفر سن) 


*۔۔۔ تم مطالعہ اس لئے کرو کہ دل ودماغ کو عمدہ خیالات سے معمور کر سکونہ کہ اس طمع سے کہ تھیلیاں روپوں سے بھر پور ہوں۔ (سینکا)

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Wednesday, April 18, 2018

तात्या टोपे १८ एप्रिल इ.स १८५९

तात्या टोपे यांचा जन्म १८१४ मध्ये नाशिक जिल्ह्यातीलयेवल्यात झाला. पांडुरंग टोपे यांच्या आठ अपत्यांपैकी तात्या हे दुसरे अपत्य. त्यांचे मूळ नाव रघुनाथ. त्यांचे नाव रामचंद्र असेही ठेवण्यात आले होते. रघुनाथचे वडील पेशव्यांकडेदानाध्यक्षाचे काम पाहण्यासाठी ब्रह्मावर्तास येऊन राहिले. पर्यायाने रघुनाथचे अर्थात तात्यांचे बालपण नानासाहेब पेशवेआणि राणी लक्ष्मीबाई यांच्याबरोबर गेले. पुढे बरीच वर्षे नानांच्या दरबारात तात्या कारकुनी कामांत गुंतलेले होते. १८५७ च्या स्वातंत्र्यसमरात ग्वाल्हेरहून तात्यांनी आणलेल्या सैन्यावर मुख्य सेनापती म्हणून नानासाहेबांनी त्यांचीच निवड केली. त्या वेळी तात्यांच्या कर्तृत्वाचा कस लागला. कानपूरवर चढाई करण्यासाठी तात्या सज्ज झाले.१८५७ मधील दिल्लीलखनौजगदीशपूर व कानपूर या ठिकाणच्या उठावांचे सूत्रधार तात्या टोपेच होते. त्यांचा धाडसी स्वभाव, गनिमी काव्याचे अवगत तंत्र, स्वदेशावरची श्रद्धा आणि स्वामिनिष्ठा यांच्या बळावर त्यांच्या तलवारीला धार आली होती. कानपूरलखनौझाशी असे कूच करताना तात्यांचा पराक्रम पणाला लागला. कमकुवत सैन्य, नियोजनाची कमतरता, पैसा-रसद-तोफा या साधनांची कमतरता असताना त्यांना यशापयशाची चव चाखायला लागत होती, पण तात्यांची ध्येयासक्ती प्रचंड होती. नानासाहेब पेशवे यांचा अज्ञातवास, ग्वाल्हेरच्या लढाईत राणी लक्ष्मीबाईचा पराभव या पार्श्वभूमीवर एकच मराठी वाघ शत्रूला तोंड देत होता. शत्रूवर जरब बसवत, वेळोवेळी इंग्रजांच्या तावडीतून सुटून पुढचे ध्येय गाठण्याचा त्यांचा यत्न इंग्रजांना मेटाकुटीला आणत होता. तात्यांच्या या पराक्रमाची गाथा जगभर पसरली. काही युरोपियन इतिहासकारांनी तात्यांच्या शौर्याचा गौरव त्या काळी केला होता. तात्यांची एकाकी झुंज थकली, जिंकण्याची आशा लोपली. इंग्रजांपुढे वाकायचे नाही हा निश्चय मात्र कायम होता. तात्या शत्रूपासून बचाव करताना मानसिंग या मित्राच्या आश्रयाला गेले. तात्यांच्या पराक्रमाला थिटी पाडणारी घटना घडली, तात्यांचा मागमूस काढणारी इंग्रजी फौज मानसिंगापर्यंत पोहोचली. मानसिंगाची फितुरी नडली आणि तात्या इंग्रजांचे कैदी झाले.  ७ एप्रिल१८५९ रोजी आरोपांना उत्तर देताना तात्यांच्या चेहेऱ्यावर भीती नव्हती, अपराधीपणा नव्हता, दु:ख तर नव्हतेच, देशाभिमान अन्‌ हौतात्म्याचे समाधान मात्र होते. १८५७च्या स्वातंत्र्ययुद्धातल्या होमकुंडात तात्यांची शेवटची आहुती पडली. १८ एप्रिल१८५९ रोजी त्यांना मध्य प्रदेशातील शिवपुरी येथे फाशी देण्यात आले. या ठिकाणीच त्यांचा पुतळा उभारण्यात आलेला आहे. तसे तात्या टोपेंचे पुतळे मध्य प्रदेशात अनेक ठिकाणी आहेत. भोपाळला तात्या टोपे नगर (टी.टी. नगर) नावाची पेठ आहे, तात्या टोपे स्टेडियम आहे, शेजारी टोपेंचा भव्य पुतळाही आहे.  
संदर्भ- विकीपीडिया 


Sunday, April 15, 2018

ماں


*موت کی آغوش میں جب تھک کے سو جاتی ہے ماں*
*تب کہیں جا کے تھوڑاسا سکوں پاتی ہے ماں*


*روح کے رشتوں کی یہ گہرائیاں تو دیکھئے*
*چوٹ لگتی ہے ہمیں اور چلاتی ہے ماں*


*پیار کہتے ہیں کسے اور مامتا کیا چیز ہے؟*
*کوئی ان بچوں سے پوچھے جن کی مر جاتی ہے ماں*


*زندگانی کے سفر میں گردشوں کی دھوپ میں*
*جب کوئی سایہ نہیں ملتا تو یاد آتی ہے ماں*


*کب ضرورت ہو مری بچے کو، اتنا سوچ کر*
*جاگتی رہتی ہیں آنکھیں اور سو جاتی ہے ماں*


*بھوک سے مجبور ہو کر مہمانوں کے سامنے*
*مانگتے ہیں بچے جب روٹی تو شرماتی ہے ماں*


*جب کھلونے کو مچلتا ہے کوئی غربت کا پھول*
*آنسوؤں کے ساز پر بچے کو بہلاتی ہے ماں*


*لوٹ کر واپس سفر سے جب بھی گھر آتے ہیں ہم*
*ڈال کر بانہیں گلے میں سر کو سہلاتی ہے ماں*


*ایسا لگتا ہے کہ جیسے آگئے فردوس میں*
*کھینچ کر بانہوں میں جب سینے سے لپٹاتی ہے ماں*


*دیر ہو جاتی ہے گھر آنے میں اکثر جب کبھی*
*ریت پر مچھلی ہوجیسے ایسے گھبراتی ہے ماں*


*شکر ہو ہی نہیں سکتا کبھی اس کا ادا*
*مرتے مرتے بھی دعا جینے کی دے جاتی ہے ماں*


*ﷲکریم جو مائیں حیات ہیں انہیں صحت وسلامتی کی نعمت دےان کے بچوں کو خدمت کی توفیق دے٬کہ یہ نعمت بیش بہا زندگی میں صرف ایک مرتبہ ملتی ہے۔*
 *اورجوآپ کی جوار رحمت میں پہونچ گیئں ان کے درجے بلندفرما*

*(آمین یارب العالمین )*

*َربِّ الرّحمھُمَاکَما رَبّ یَانِی صَغِیرَا*

Saturday, April 14, 2018

भारत रत्न डाॅ.बाबासाहेब आंबेडकर जयंती

भारतीय घटनेचे शिल्पकार, भारत रत्न डाॅ.बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या 127 व्या जयंती निमित्त सव॔ बांधवांना हार्दीक शुभेच्छा


आज शनिवार दि. 14 एप्रिल 2018 रोजी अॅगलो उर्दू हायस्कूल येवला मध्ये भारतीय घटनेचे शिल्पकार, भारत रत्न डाॅ.बाबासाहेब आंबेडकर यांची 127 वी
 जयंती साजरी करण्यात आली.



Friday, April 13, 2018

کھجور کا شربت


سخت گرمی کے مہینے میں روزے ایسے گزاریں جیسے
دسمبر کا مہینہ چل رہا ہے ۔ پیاس اور تھکاوٹ کے احساس کو ختم کیجئے ۔۔۔۔۔
رمضان کے اس مہینے میں ایک شربت سے متعارف کراتا ہوں جس کا تعلق دور نبوی ﷺ کے معمولات سے ہے احادیث کی کتابوں میں نبوی غذاؤں کا جب مطالعہ کرتے ہیں تو نبیذ ایک ایسی اصطلاح ملتی ہے جس کا استعمال اہل عرب اب بھی کرتے ہیں لیکن عجم میں اس کا استعمال ختم ہوگیا ہے۔
 کھجور کا استعمال گرمی اور تری دکھاتا ہے لیکن اگر اسی کھجور کو پانی میں بھگو کر اور اس کا شربت بنایا جائے تو اس سے زیادہ پرتاثیر اور تسکین سے بھرپور شاید کوئی شربت ہوگا۔ ویسے بھی اس وقت پوری دنیا میں دل کے امراض‘ انجائنا‘ ہارٹ اٹیک کیلئے کھجور کا استعمال بہت تیزی سے رواج پکڑ رہا ہے کیونکہ دنیا واپس فطرت کی طرف پلٹ رہی ہے اور کھجور فطرت ہے۔ آئیں! ہم ذرا کھجور کا شربت آپ کی خدمت میں پیش کرتے ہیں کہ رمضان میں اس سے بھرپور لطف اٹھائیں۔
 ایک صاحب مجھ سے کہنے لگے کہ رمضان کا مہینہ آرہا گرمی کا مہینہ ہے‘ پیاس‘ لو‘ حدت‘ اور حبس مجھ سے ویسے ہی برداشت نہیں ہوتی پھر روزے کے ساتھ کیسے برداشت ہوگی؟ میں نے کہا بالکل آسان ہے‘ آپ ایسا کریں روزہ رکھنے کے بعد دو بڑے چمچ گلاب کے پھولوں کا گلقند کھاکر اوپر سے ایک گلاس پانی پی لیں یا پھر اس سے بہتر ہے کہ گلاب کے پھولوں کے دو چمچ کھاکر اوپر سے کھجور کا شربت پی لیں اسی طرح افطار کے وقت کھجور سے افطار کرکے چسکی چسکی کھجور کا شربت پئیں‘ گھونٹ گھونٹ نہ پئیں‘ پیاس گرمی‘ حدت‘ جلن سارے جسم کی نڈھالی پل بھر میں ختم ہوجائے گی۔
 ویسے بھی سحری کے بعد گلقند کھانے والا اور کھجور کے گلاس کا ایک شربت پینے والا سارا دن ایسے تروتازہ رہے گا کہ احساس تک نہیں رہتا کہ اسے روز ہے کہ نہیں ہے۔ جتنا بھی پرمشقت کام کرے اور جتنی زیادہ گرمی اور لو میں دن کا جتنا وقت گزارے اسے زیادہ سے زیادہ یہی احساس ہوگا کہ میرا روزہ ہے اس سے زیادہ احساس بالکل نہیں ہو گا کیونکہ کھجور کا شربت اور گلقند اپنے اندر ایک انوکھی افادیت رکھتے ہیں میں نے جب اس بندے کو یہ طریقہ بتایا تو وہ مطمئن ہوگیا اور پورا رمضان اسی ترکیب کے ساتھ گزارا۔ رمضان کے درمیان ملا تو کہنے لگا بہت مطمئن ہوں‘ روزے کا احساس تک نہیں بلکہ اب تو جی چاہتا ہے کہ رمضان دو ماہ کا ہوجائے۔ اس سے پہلے تو ایک دن کے روزے کیلئے بھی طبیعت میں بوجھ محسوس ہوتا تھا۔
 ایک نہیں بے شمار مثالیں میرے پاس ہیں جب بھی کسی کو میں نے کھجور کے شربت پینے کی ترکیب دی سارا گھر کھجور کا شربت پینے لگا اور کھجور کا شربت پینے سے جہاں قلب و جگر کی تسکین ہوتی ہے وہاں کھجور کا شربت خود ہیپاٹائٹس‘ معدے کی تیزابیت‘ پیاس کی شدت‘ ہاتھ پاؤں کی جلن‘ منہ کی خشکی‘لعاب دہن کا کم ہونا‘ پیشاب کی جلن اور قبض کا خود بہترین علاج ہے۔ ایسے لوگ جو کسی بھی ہٹیلی پیچیدہ مرض میں مبتلا ہوں اور روزہ رکھنے سے قاصر ہوں۔ وہ مایوس اور پریشان نہ ہوں کیونکہ صحابہ کرام رضوان اللہ علیہم اجمعین کے بارے میں سیرت کی کتابوں میں یہ بات ملتی ہے وہ گرمی کے روزے اور سردیوں کی تہجد کی دعائیں مانگتے تھے کیونکہ گرمی کے دن بڑے ہوتے ہیں اور سردیوں کی راتیں بڑی ہوتی ہیں۔ آئیں آپ کو احادیث کے حوالے سے نبیذسے متعارف کرائیں۔حضرت ابوقتادہ رضی اللہ عنہٗ سے روایت ہے کہ نبی کریم ﷺ نبیذ بنانے کیلئے خشک اور کچی کھجور ‘خشک انگور اور خشک کھجور کے ملانے کچی اور تر کھجور کے ملانے سے منع فرمایا اور فرمایا ہر ایک سے الگ الگ نبیذ بناؤ۔ (رواہ مسلم)

نبیذ بنانے کا طریقہ:
 حسب مقدار کھجور لیکر شام کو (اگر کھجوریں خشک ہوں تو ان کو چھوٹے چھوٹے ٹکڑے کرلیں اور گٹھلیاں نکال دیں) پانی میں بھگو دیں یعنی اگر کھجور ایک پاؤ ہو تو اس میں پانی تقریباً دو کلو ہو۔ صبح اٹھ کر کھجور کو ہاتھوں سے ملیں ‘ملتے ملتے تمام کھجور اور اس کے ریشے پانی میں حل ہوجائیں گے جی چاہے چھان لیں اور نوش جان کریں‘ ورنہ بغیر چھانے بھی استعمال کرسکتے ہیں۔ اگر کھجوریں تازہ ہوں تو انہیں مت توڑیں اور ثابت ہی بھگودیں صبح اٹھ کر مل چھان کر یا مل کر گٹھلیاں نکال دیں اور نوش کریں۔ چاہیں تو کھجور کے شربت میں دودھ بھی ملا سکتے ہیں اس طرح اس کی افادیت بھی بڑ ھ جاتی ہے اور جنت کے دو میوے یعنی دودھ اور کھجور اکٹھے ہوجاتے ہیں۔ صحابہ کرام رضوان اللہ علیہم اجمعین کی زندگی میں اکیلا کھجور کا شربت پینا بہت زیادہ ثابت ہے۔ شہنشاہ اورنگزیب عالمگیر رحمۃ اللہ تعالیٰ علیہ صبح ناشتے میں نبیذ کا استعمال کرتے۔ بڑے بڑے محدثین اولیاء صالحین حضرت پیران پیر شیخ عبدالقادرجیلانی رحمۃ اللہ علیہ بھی نبیذ کا استعمال زیادہ کرتے۔ امام جعفر صادق رحمۃ اللہ علیہ سے بھی نبیذ کا استعمال ثابت ہے۔

Thursday, April 12, 2018

Jyotiba Phule Jayanti

आज गुरुवार दि. 12 एप्रिल 2018 को
अॅगलो उर्दू हायस्कूल येवला मे महात्मा फुले
(ज्योतिराव गोविंदराव फुले) इनकी जयंती 
मनाई गई । 


ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रैल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०) 19वीं सदी के एक महान भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें 'महात्मा फुले' एवं 'ज्‍योतिबा फुले' के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।

Monday, April 9, 2018

NEFT आणि RTGS मध्ये फरक


NEFT आणि RTGS मध्ये नेमका फरक काय आहे!...
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ऑनलाईन पैसे ट्रान्सफर करताना तुम्ही नेहमी पाहत असाल की आपल्याला NEFT आणि RTGS हा पर्याय दाखवतो. पण कधी तुम्ही विचार केलाय का, काय आहे हे NEFT आणि RTGS? त्याचं महत्त्व काय? आणि नेमका त्यांच्यामधील फरक काय?

जाणून घेऊया.....

भारतात पैसे पाठवणे प्रक्रिया रिजर्व बँक ऑफ इंडियाच्या देखरेखी खाली चालते. सध्या भारतात विविध प्रकारच्या पैसे पाठवणे प्रक्रिया अस्तित्वात आहेत, ज्यातील प्रमुख प्रक्रिया आहेत-

▪१. National Electronic Fund Transfer – NEFT
▪२. तात्काळ पैसे पाठवणे (Real Time Gross Settlement – RTGS
▪३. Immediate Payment Service – IMPS

◾आपण आता या तिन्ही प्रक्रियांविषयी स्वतंत्रपणे जाणून घेऊया:

🔺१. नॅशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रान्सफर (NEFT)
ही भारतातील सर्वात प्रमुख पैसे हस्तांतरण प्रणालीपैकी एक आहे. ही प्रणाली नोव्हेंबर २००५ मध्ये सुरु करण्यात आली. या पद्धतीने पैसे लगेच ट्रान्सफर होत नाहीत, या प्रणालीमध्ये प्रत्येक तासाचा टाइम स्लॉट बनवलेला असतो आणि त्यानुसार पैसे दुसऱ्याला पाठवले जातात. हे इलेक्ट्रॉनिक संदेशाच्या माध्यमाने वापरले जाते. ही सुविधा देशाच्या ३०००० बँकांमध्ये उपलब्ध आहे.

🔺२. रीअल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS)
भारतीय RTGS प्रणाली महिन्याच्या केवळ १६ दिवसात देशाच्या जीडीपी एवढी देवाण – घेवाण करते. RTGS च्या माध्यमातून मोठमोठी देवाणघेवाण केली जाते. देशातील ९५% देवाणघेवाण याच प्रणाली मधून होते. ही प्रक्रिया जगात सर्वात जास्त वापरली जाणारी प्रक्रिया आहे १९८५ पर्यंत केवळ ३ देश ही पद्धत वापरत असतं, पण आज जगातील १०० पेक्षा जास्त देश या प्रणालीचा वापर करतात. RTGS प्रणालीच्या माध्यमातून पैसे लगेच हस्तांतरीत करता येतात. या पद्धतीमध्ये OK बटण दाबल्यावर लगेच पैसे समोरच्याच्या खात्यामध्ये जमा होतात.

🔺३. इमीडेट पेमेंट सर्विस (IMPS)
ही सेवा भारतामध्ये २२ नोव्हेंबर २०१० रोजी सार्वजनिकरीत्या सुरु करण्यात आली होती. या सेवेमार्फत एका बँक खात्यामधून दुसऱ्या बँक खात्यामध्ये पैसे कधीही पाठवता येऊ शकतात. मोबाईलच्या माध्यमातून देखील या सेवेचा वापर करता येतो. एकीकडे NEFT आणि RTGS च्या वापरावर मर्यादा आहे, तर दुसरीकडे IMPS चा वापर मात्र दिवसाच्या २४ तासांत कधीही आणि सुट्टीच्या दिवशीही करता येतो. ह्या सेवेचे व्यवस्थापन NationalPayment Corporation Of India (NPCI) द्वारे केले जाते.

◾NEFT आणि RTGS मध्ये काय फरक आहे?

🔺१. NEFT च्या माध्यमाने छोटे बचत खाते धारक पैसे हस्तांतरीत करतात. तर RTGS चा उपयोग मोठमोठ्या उद्योगसंस्था आणि कंपन्या करतात.

🔺२. NEFT मधून किमान पैसे पाठवण्याची मुभा असते, परंतु RTGS मधून कमीत कमी २ लाख रुपये हस्तांतरीत करणे अनिवार्य असते.

🔺३. NEFT मधून पैसे हस्तांतरीत होण्यासाठी वेळ लागतो, पण RTGS मधून पैसे लगेच हस्तांतरीत होतात.

🔺४. NEFT च्या माध्यमातून बँकेच्या कार्यालयीन वेळातच पैसे ट्रान्सफर करता येतात. RTGS मध्ये लगेचच पैसे ट्रान्सफर होतात पण त्यादिवशी बँक चालू असणे गरजेचे असते.

🔺५. ट्रान्सफरसाठी आकारण्यात येणारे शुल्क :

◾NEFT मध्ये आकारण्यात येणारे शुल्क

▪१ लाखांपर्यंत आकारण्यात येणारे शुल्क:- ५ रुपये + सेवा कर

▪१ लाखापेक्षा जास्त आणि २ लाखांपेक्षा कमीसाठी आकारण्यात येणारे शुल्क :- १५ रुपयापेक्षा जास्त नाही + सेवा कर

▪२ लाखापेक्षा जास्त पैसे पाठवण्यासाठी आकारण्यात येणारे शुल्क :- २५ रुपयापेक्षा जास्त नाही+सेवा कर

◾RTGS मध्ये लागणारे शुल्क :

▪२ लाख रुपये ते ५ लाखांपर्यंत देवाणघेवाण करण्यासाठी आकारण्यात येणारे शुल्क :- प्रत्येक ट्रान्सफरला कमाल ३० रुपये

▪५ लाख रुपयांपेक्षा जास्तची देवाणघेवाण करण्यासाठी आकारण्यात येणारे शुल्क :- प्रत्येक ट्रान्सफरला कमाल ५५ रुपये...

#IMPS #NEFT #RTGS #India #ट्रान्सफर #Fund

Saturday, April 7, 2018


संयम

*संदिप खरेंची*
*संयम शिकविणारी फार सुंदर कविता...*

"मी सुद्धा चुकलो असेन",
एवढं मनात आणा!
धनुष्य मग हातातलं,
जरा संयमानंच ताणा!

बाणच हळू कानात सांगेल,
'ठेव मला भात्यात!
एवढं ऊन, एवढा पाऊस,
असणारच की नात्यात!'

वादा जवळ गप्प बसून,
संवाद करू, मारू गप्पा!
तुटण्या किंवा उसवण्याचा,
येणारच नाही टप्पा!

तेवढाच क्षण टळल्यावर
आकाश होतं साफ!
दंव होऊन गारवा देते,
तीच गरम गरम वाफ!

एक क्षण आवेगाचा,
फुटण्यापुर्वी अडवा!
डोळे सुद्धा राग बोलतात,
पापण्यांमागे दडवा!

थोडी गुदमर, थोडी घुसमट,
उंबरठ्यावर दाटेल!
राख झाली तरी चालेल,
असं वाटेल, ...पटेल!

दिवस रात्र असणारच,
तेव्हा आपण पूर्व बघू!
प्रकाशाचे वारकरीच की!
आपण उगवतीला निघू!

पहिली ठिणगी पडते तेव्हा,
विचार व्हावा पाणी!
मनात सूर जपतो तेव्हाच,
शब्द होतात गाणी!

कधीकधी आठवण्याहून,
विसरण्यातच मजा!
बेरजेपेक्षा कधीकधी ,
जोडून देते वजा!

बाकी उरणं महत्वाचं,
तेवढीच श्री शिल्लक!
कविता असेल साधी,
पण् विचार मात्र तल्लख!

*संदीप खरे*

मायका

सुविख्यात पंजाबी लेखिका अमृता प्रीतम जी ने *मायके* पर क्या खूब लिखा है:
आज उनकी पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन्
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रिश्ते पुराने होते हैं
पर "मायका" पुराना नही होता

जब भी जाओ .....
अलाय बलायें टल जाये
यह दुआयें मांगी जाती हैं

यहां वहां बचपन के कतरे बिखरे होते है
कही हंसी कही खुशी कही आंसू सिमटे होते हैं

बचपन का गिलास....कटोरी ....
खाने का स्वाद बढ़ा देते हैं
अलबम की तस्वीरें
कई किस्से याद दिला देते हैं

सामान कितना भी समेटू
कुछ ना कुछ छूट जाता है
सब ध्यान से रख लेना
हिदायत पिता की ....
कैसे कहूं सामान तो  नही
पर दिल का एक हिस्सा यही छूट जाता है

आते वक्त माँ, आँचल मेवों से भर देती हैं
खुश रहना कह कर अपने आँचल मे भर लेती  है ....

आ जाती हूं मुस्करा कर मैं भी
कुछ ना कुछ छोड कर अपना

रिश्ते पुराने होते हैं
जाने क्योँ मायका पुराना नही होता
उस  देहरी को छोडना हर बार ....आसान नही होता।

- अमृता प्रीतम